नागरिकता कानून (CAA) 2024 क्या है? इसके लाभ क्या होंगे और किस पक्ष को नुकसान होगा जानिए एग्जाम से सम्बंधित तथ्य
नागरिकता संशोधन कानून का देश भर में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। हालांकि केंद्र सरकार इस कदम से पीछे हटने को तैयार नहीं है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही इस नागरिक संशोधन विधेयक ने संविधान सभा में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही नागरिक संशोधन विधेयक ने कानून की शक्ल ले ली है।
नागरिकता कानून (CAA) 2024 नागरिकता का प्रावधान
इस कानून से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुल गया है। लेकिन देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है। इसके बावजूद देशवासियों के मन में इस कानून को लेकर कई सारे सवाल हैं। यहां हम आपको इससे जुड़े हर सवाल का जवाब दे रहे हैं
- 31 दिसंबर, 2014 या पहले भारत आने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह धर्मों के अल्पसंख्यकों को घुसपैठिया नहीं माना जाएगा।
- नागरिकता अधिनियम, 1955 अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया गया है।
- नै नागरिकता दिए जाने के पश्चात् उसको वे सब अधिकार प्राप्त नहीं होंगे जो अधिकार नागरिकता साबित कर चुके व्यक्ति के पास हैं।
नागरिकता कानून (CAA) 2024 के अनुसार अवैध प्रवासी कोण है?
- जिसने वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज़ों के बिना भारत में प्रवेश किया हो।
- जो अपने निर्धारित समय-सीमा से अधिक समय तक भारत में रहता है।
- इस लाभ को विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत भी छूट दी जाएगी।
- वर्ष 1920 का अधिनियम विदेशियों को अपने पासपोर्ट के साथ अपने पास रखने के लिए बाध्य करता है।
- 1946 का अधिनियम भारत में विदेशियों के आने-जाने को नियंत्रित करता है।
नागरिकता कानून में इन देशों के धर्मों का ज़िक्र
अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को लाभ मिलेगा।
इन देशों के छह धर्मों के अल्पसंख्यकों के साथ भारत की नागरिकता की बैठक का रास्ता खुला।
ये छह धर्म हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी हैं।
अपवाद: संवधन सभी धर्मों को सामान मैंने के लिए वाद्ध्य करता है। तथा भारत देश का कोई धरम नहीं।
नागरिकता कानून कहाँ लागु नहीं किया जायगा?
संविधान की छठी अनुसूची में राज्य और जनजातीय संविधान में संशोधन कानून लागू नहीं होगा।
यह प्रोविजन बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के अंतर्गत अधिसूचित ‘इनर लाइन’ क्षेत्र पर भी लागू नहीं होगा। असम: कार्बी एंगलोंग जिला, बोडोलैंड, नार्थ चार हिल्स जिला मेघालय: मिशेल हिल्स, जयन्तिया हिल्स और गारो हिल्स जिले मेघालय में सिर्फ शिलांग को बाकी हिस्सों में कानून लागू नहीं करना होगा।
त्रिपुरा के जवानी जिले मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड शामिल किये गए हैं।
नागरिकता कानून को लेकर 2 तरह का विवाद
1 विवापष में इसलिए विरोध
- विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह एक धर्म विशेष के खिलाफ है।
- यह कानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
- विवरण 14 सभी को सद्भावना का लाभ देता है।
- आलोचकों का कहना है कि विश्व के किसी भी देश में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।
- यह कानून अवैध मुसलमानों को मुस्लिम और गैर-मुस्लिम में बांटता है।
- अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अलावा अन्य पड़ोसी देशों का ज़िक्र क्यों नहीं।
- 31 दिसंबर 2014 की तारीख चुनाव के पीछे का उद्देश्य भी स्पष्ट नहीं है।
2 असम सहीत पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध
बिना किसी धार्मिक भेदभाव के सभी अवैध प्रवासियों को बाहर किया जाए।
राज्य में इस कानून को 1985 के असमादेश के पीछे उद्योगों के रूप में देखा जा रहा है।
कार्यक्रम के तहत सभी बांग्लादेशियों को यहां से जाना होगा, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम।
असम के कई राज्यों को मिलाकर जनांकिकीय परिवर्तन होगा।
NRC और नागरिकता कानून का सम्बन्ध
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानि एनआरसी में सभी भारतीयों का विवरण शामिल है।
1951 के बाद सिर्फ असम में ही इसे अपडेट किया गया है।
असम में NRC की अंतिम सूची के पश्चात 19,06,657 लोगों का नाम शामिल नहीं था।
इनमें केवल सात लाख मुस्लिम बांग्लादेशी के थे, अन्य 12 लाख हिंदू-सिख सहित अन्य धर्मों के थे।
एक विवाद यह भी है कि नागरिकता संशोधन कारखाने से मुसलमानों के पास गैरों को नागरिकता का अवसर मिलेगा, लेकिन मुसलमानों के लिए नहीं।